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अक्षय तृतीया का दिन सबसे शुभ क्यों होता है? इस तिथि से जुड़ी 11 मान्यताएँ

अक्षय तृतीया वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष के तृतीय तिथि को मनाया जाता है, यह तिथि अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है, इस दिन बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ काम किया जा सकता है

अक्षय तृतीया कब मनाया जाएगा ?

अक्षय तृतीया

3 मई 2022 मंगलवार के दिन अक्षय तृतीया बनाया जाएगा

अक्षय तृतीया तिथि का प्रारंभ   3 मई 2022 सुबह 5:18 , से प्रारंभ हो रहा है

अक्षय तृतीया की समाप्ति 4 मई 2022 सुबह 7:32 को हो रहा है

ज्योतिषियों के अनुसार 50 साल बाद ग्रहों का अद्भुत संयोग इस दिन देखने को मिल रहा है इसी कारण इस बार अक्षय तृतीया का महत्त्व और ज्यादा बढ़ जाएगा , बृहस्पति अपने  स्वयं की राशि मीन में विराजमान होंगे और साथ में शुक्र भी अपनी उच्चराशि मीन राशि में बृहस्पति के साथ होंगे दोनों ग्रहों की युती के कारण इसका महत्त्व और भी बढ़ गया है इस दिन लक्ष्मी और नारायण की कृपा बनी रहेंगी चन्द्रमा अपने उच्च राशि वृषभ में मौजूद रहेंगे इन ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण शुभ और मंगलमय संयोग अक्षय तृतीया को बन रहा

माँ अन्नपूर्णा

अक्षय तृतीया का महत्त्व

  1. अक्षय जिसका अर्थ होता है कभी न क्षय होना , इसका मतलब है की कभी न समाप्त होने वाला’ या चिरकाल तक बना रहना , अक्षय तृतीया का उल्लेख पुराणो में भी मिलता है विशेषकर इसकी महिमा पदम पुराण में उल्लेख किया गया
  2. अक्षय तृतीया भगवान विष्णु को समर्पित है तृतीया का  अपभ्रंश तीज होता है तीज शब्द देवी समर्पित है हिंदू मैथोलॉजी के अनुसार त्रेता युग का प्रारंभ इसी शुभ दिन हुआ था
  3. अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन परशुराम का जन्म हुआ था परशुराम विष्णु भगवान के छठे अवतार के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे
  4. दक्षिण भारतीय मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की शादी इस दिन हुई थी  कहानी के अनुसार भगवान  सुंदरेश्वर और देबी मदुरई को शिव पार्वती का पृथ्वी पर अवतरण माना जाता है , इनका विवाह इसी शुभ दिन को हुआ था इसलिए दक्षिण भारतीय मान्यताओं के अनुसार इस दिन  शादी के लिए सबसे शुभ मुहूर्त होता है यह भी मान्यता है कि इस दिन जो विवाह करता है भगवान शिव और पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है
  5. ऐसा भी है मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवती अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था सारे जीव जंतुओं के भोजन के प्रबंध के लिए माँ अन्नपूर्णा को ही जिम्मेवारी दी गई कहा जाता है के भगवान शिव ने माँ अन्नपूर्णा को अक्षय पात्र प्रदान किया और सबसे पहले भिक्षा की मांग उन्होंने ही की
  6. द्वापर युग में भगवान कृष्ण गुरुकुल में अपने बाल सखा सुदामा के साथ है रहते थे सुदामा एक गरीब ब्राह्मण था श्रीकृष्ण जब द्वारिका के राजा हुए तो सुदामा उनसे मिलने के लिए आए श्री कृष्ण ने सुदामा को  सहायता की वह दिन अक्षय तृतीया का ही दिन था,
  7. महाभारत के अनुसार भगवान सूर्य ने इसी  दिन पांडवों  को अक्षयपात्र दिया था ये अक्षयपात्र देते हुए भगवान ने द्रौपदी से कहा था के ये संसार के सभी जीवों को पेट भरने में सक्षम है
  8. वृंदावन में अक्षय तृतीया के दिन ही भक्तजनों को बांके बिहारी के पैरों के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है
  9. अक्षय तृतीया के दिन ही चारो धामों में से एक धाम भगवान बद्रीनाथ के पट खुलते हैं , जो भक्तजन चारों धाम की यात्रा करते हैं उनको इस दिन का विशेषकर इंतजार होता है
  10. महाभारत में इसी दिन युद्ध की समाप्ति हुई थी धर्म का अधर्म पर विजय प्राप्त हुआ था
  11. अक्षय तृतीया को सोना क्रय करने की मान्यता है सोने में लक्ष्मी का निवास होता है पीला रंग होने के कारण बृहस्पति यानी ये विष्णु का भी प्रतीक है ऐसी मान्यता है कि जो भी मनुष्य इस दिन सोना खरीदकर घर में लाता है उसको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है

अक्षय तृतीया की पूजन विधि

अक्षय तृतीया के दिन की मान्यता यह है कि इस दिन नदी में स्नान करना चाहिए गंगाजी में स्नान करने से सारे पाप भूल जाते हैं अगर आपके आस- पास कोई नदी नहीं है तो स्नान करने वाले बाल्टी में गंगाजल  और हल्दी पाउडर डालकर स्नान करने चाहिए इस दिन सुबह स्नान   कर शुद्ध पीले वस्त्र धारण करने चाहिए इस दिन हवन यज्ञ तप व्रत करने से साधक को विशेष फल प्राप्त होता है

अक्षय तृतीया – dip in Ganga river

 पूजा स्थल को साफ सुथरा करके भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए विष्णु सहतरनाम का पाठ भी इस दिन किया जा सकता है कहा जाता है कि इस दिन किया गया पूजा पाठ अक्षय होता है उसकी महत्ता और दिनों की अपेक्षा ज्यादा होता है

भगवान को मिठाई फल फूल और ऋतुफल अर्पित करने चाहिए विशेषकर भगवान विष्णु को तुलसी दल अवश्य अर्पित करना चाहिए क्योंकि बिना तुलसी दल के भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती

अक्षय तृतीया lord vishnu

अक्षय तृतीया के दिन दान का विशेष महत्त्व है क्योंकि इस से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है अगर कोई व्यक्ति मदद मांगने के लिए आए तो आप उसे मना ना करें यह किसी भी गरीब को खाली हाथ न जाने दें किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार उसकी सहायता जरूर करनी चाहिए

अक्षय तृतीया के दिन परिवार के साथ सात्विक भोजन करना चाहिए और किसी के प्रति अपने अंदर  द्वेषभाव नहीं रखने चाहिए

अक्षय तृतीया के दिन भगवान के सामने सुगंधित दीप दान करें और शाम के समय यह ध्यान जरूर रखें की घर का कोई कोना अंधेरा न रहे

Akshya tritiya puja

अक्षय तृतीया के दिन धन स्थान रखने वाले जगह को भी साफ सुथरा करें तिजोरी को भी साफ सुथरा कर करें उस पर स्वास्थ्य चिन्ह बनाएं और उसकी पूजा करें जिससे कभी भी आने वाले समय में धन की कमी ना और समृद्धि बनी रहे

अच्छे तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुर्हूत है कोई भी शुभ काम इस दिन किया जा सकता है अगर कोई शुभ कार्य शुरू करना है तो निसंकोच इस दिन आरंभ कर देना चाहिए जैसे घर का क्रय बिक्रय ,गाड़ी खरीदने का सोच रहे हैं तो इस दिन जरूर क्रय कर सकते हैं, बच्चों की शिक्षा संस्कार का आरंभ कर सकते हैं , और छोटे बच्चों का अन्नप्रासन नामकरण जनेऊ संस्कार भी इस दिन किया जा सकता है

नोट- यहाँ दी गई जानकारी सामान्य जन मानस की मान्यताओं और जानकारीयों पर आधारित है http://43.205.213.15 किसी तरह से भी इसकी पुष्टि नहीं करता |

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Dr Ragini Singh

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