Online Gaming Addiction, ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन , बच्चों को गेम खेलने से रोकने के तरीके

ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन , बच्चों को गेम खेलने से रोकने के तरीके

Online Gaming Addiction

आए दिन खबरों में आप सुनते रहते हैं की गेम खेलने से बच्चे ने अपने माता पिता की हत्या कर दी , गेम के लिए पैसे की चोरी की या कोई शारीरिक और मानसिक बिमारी से ग्रसित हो गया |

गेमिंग एडिक्शन क्या होता है?

एडिक्शन बुरी आदत के रूप में लिया जाता है जैसे किसी चीज़ का लत लग जाना इसे बुराइ के परिपेक्ष्य में समझा जाता है जैसे अत्यधिक खाना खाना, या मीठी चीजों का एडिक्शन या ज्यादा तला भुना खाना. लेकिन अधिकतर शराब ड्रग्स, सिगरेट, अन्य नशायुक्त चीजों के लिए या जुआ खेलने के रूप में उपयोग किया जाता है, एडिक्शन वह होता है जिसमे व्यक्ति को वह चीज़ नहीं मिलता जिसका वह आदी हो जाता तो एक तरह से उसके अंदर चिड़चिड़ापन, बेचैनी, आक्रामक हो जाना इत्यादि क्रियाएं आ जाती इसको पाने के लिए वो बेचैन हो जाता और वह किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है |

बच्चों को ऑनलाइन गेम खेलते समय उनके व्यवहारों पर विशेष ध्यान दीजिए | जैसे बिना गेम्स खेलें क्या आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो रहा है आक्रामक हुआ है या आप से गलत रूप में व्यवहार कर रहा है ? क्या आप परेशान हो कर बच्चे को गेम खेलने के लिए अनुमति दे देते हैं ? तो इतना समझ जाइए की बच्चे बड़े से ज्यादा समझदार होते है वे अपने माता पिता को अच्छी तरह समझते की किस हद तक जिद करने पर मेरे माता पिता मेरी बातों को मान लेंगे | उन्हें पता होता है मेरे पास माता पिता कब उनकी मांगों की आगे झुकेंगे |

इसी समय हर एक पैरेंट को यह ध्यान रखना जरूरी है कि चाहे कुछ भी हो जाए जो हमने नियम बनाया है इस नियम को न तोड़े|

बच्चों से व्यवहार करते समय या उनको गेम खेलने से मना करते समय यह ध्यान रखिए की उनके साथ बहुत ही कठोर व्यवहार न करें बल्कि उनको प्यार से समझाते हुए अपने बातों को मनवाइए | इसमें माता पिता को बहुत ही समझदारी से काम लेना होगा और हो सकता है उनके सहनशीलता की भी परीक्षा देनी पड़ सकती है |

आपका बच्चा अगर ऑनलाइन खेलता है हो सकता है उसको अभी एडिक्शन न लगा हो , लेकिन थोड़े समय का खेल कब आदत में बदल जाता है यह कहना मुश्किल होगा इसलिए अपने बच्चों की गतिविधियों पर हमेशा नजर रखें जब वो पढ़ाई कर रहे हो अगर वे मोबाइल और कंप्यूटर का यूज़ कर रहा हैं तो आप बीच, बीच में जाकर उनकी गतिविधियों को जरूर देखें क्योंकि एक बार लत लग जाने के बाद उस खेल को छुड़ाना एक बहुत ही मुश्किल भरा सफर हो सकता है |

गेम बनाने वाले सबसे पहले बच्चो को गेम कि लत लगाने के लिए छोटे छोटे टारगेट देते हैं, उन टारगेट को पूरा करने पर एक तरह से खुशी महसूस होती है दिमाग में डोपामिन रिलीज होता है फिर उसके बाद थोड़े लंबे, लंबे टारगेट देते हैं और वो लंबे टारगेट को पूरा करने के लिए अपने जैसे बच्चों से आगे निकलने की होड़ लग जाती और उनको एक अलग तरह की खुशी महसूस होती और यह खुशी कब एडिक्शन में बदल जाता है|

यह पता भी नहीं चलता इसको तोड़ने के लिए आपको भी इसी तरीके से बच्चों को संभालना होगा एकाएक गेम को छुड़ाना भी खतरनाक हो सकता है क्योंकि बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो सकता है ,

आत्महत्या कर सकता है या इतना आक्रामक हो सकता है कि वह मरने और मारने के लिए अमादा हो जाए , इन गेम कंपनियों ने जिस तरीकों को अपनाएं उसी तरीकों को आप भी फॉलो कीजिए बच्चे को गेम से दूर रखने के लिए सहिष्णुता और सहनशीलता के साथ छोटे छोटे टारगेट दीजिए फिर उन छोटे छोटे टारगेट को पूरा करने के बाद उसको सोशल एक्टिविटीज में सहभागी बनाइए और पढ़ाई ध्यान बनाए रखने के लिए उसको छोटे छोटे पुरस्कार भी दीजिए जिससे कि आप के साथ भी ज्यादा एक्टिव होना शुरू हो जाएगा |

ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन
गेम खेलने के नुकसान

बच्चे आक्रामक हो जाते हैं ,

बच्चों को जब गेम का एडिक्शन हो जाता है उनको खेलने से रोका जाता है तो वे बच्चे आक्रामक हो जाते हैं | बच्चे अपनी जीत और हार को गेम के जरिए ही तय करते हैं और उसी के साथ इमोशनल अटैचमेंट हो जाते हैं जिसके कारण कि अगर उनको खेलने से मना किया जाता तो आक्रामक हो जाते हैं ऐसे में या तो वह घरवालों को हानि पहुंचाते हैं या अपने को हानि पहुंचा लेते हैं |

शारीरिक समस्याएं |

कंप्यूटर गेम खेलने से बच्चों का शारीरिक विकास भी रुक जाता है और बहुत सारी समस्याएं आ जाती है जैसे लंबाई का न बढ़ना , खाना खाते समय कंप्यूटर गेम खेलना जिससे मोटापे की समस्या है हो जाती है पढ़ना , बालों का झड़ना , लगातार स्क्रीन पर देखने के कारण आंखें का कमजोर हो जाना ये सब शारीरिक समस्याएं आ जाती है|

दिमागी समस्याएं

कंप्यूटर गेम खेलने से मानसिक बिमारी होने की भी संभावना बढ़ जाती है जैसे स्मरणशक्ति का कमजोर होना , ध्यान न लगने की समस्या, आत्मविश्वास का न होना, जब कोई बच्चा कंप्यूटर गेम खेलता है तो वह अपने को वर्चुअल दुनिया से कनेक्ट कर लेता है और वास्तविक दुनिया से कट जाता है उसका दिमाग भी वर्चुअल दुनिया से संपर्क स्थापित कर लेता है और उसी के अनुसार वे सोचने लगता है|

समस्याएँ जब वास्तविक दुनिया से आती है तो उसे दूर करने की भी कोशिश नहीं करता अगर वह पढ़ाई में कमजोर होता चला जाता है तो उस पर कोई ध्यान नहीं देता उसके अंदर आत्मविश्वास की धीरे धीरे कमी हो जाती है और उसे दूर करने की भी कोशिश नहीं करता |

सामाजिक व्यवहार की समस्याएं

सामाजिक समस्याएँ ऐसे बच्चों में देखने को मिलती है जो बहुत ज्यादा कंप्यूटर गेम खेलते हैं ये अपने को सभी से अलग कर लेते हैं कंप्यूटर गेम खेलने वाले बच्चे अपने को अकेला रखना पसंद करते अपने बच्चों के साथ हुए गिनते मिलते नहीं है साथ में माता पिता से भी अपने को दूरी और अपनी दुनिया में ही मगन रहता है |

वर्चुअल दुनिया से संपर्क बनाने के कारण पर्सनैलिटी डिसॉर्डर देखने को मिलता है ऐसे बच्चे दूसरे लोगों से बात करना पसंद नहीं करते उन से घुलते मिलते नहीं है, आसपास के बच्चों के साथ भी खेलते भी नहीं है और साथ में अपने परिवार के लोगों के साथ भी अपने को अलग कर लेते है | ऐसे बच्चे डिसिप्लिन का भी अनुसरण नहीं करते न तो उनको अपने खाने का ध्यान होता है और ना ही नहाने और सोने का |


नींद की समस्या

कंप्यूटर खेलने वाले बच्चों की सोने की समस्या भी देखने को मिलती है क्योंकि वह न तो समय पर जागते हैं और न तो समय समय पर वे उठते और ऐसी स्थिति में उनके रोज़मर्रा की जिंदगी भी अस्त व्यस्त हो जाता है सोते समय इनको बहुत सारे समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है जैसे आंखो का भारी होना गर्दन का दुखना सर का दर्द लगातार बने रहना जिसके कारण नींद का कम हो जाता है |

आत्महत्या का विचार आना

जीवन में असफलता के के कारण और लोगो से बातें सुन कर ऐसे बच्चे अपने को असफल मानने लगते हैं की मैं कुछ भी नहीं कर पाऊंगा और ऐसी स्थिति में उनको कई बार आत्महत्या का विचार भी उनके मन में आने लगता है |जो बच्चे थोड़ा ज्यादा बड़े हैं और बातों को समझते हैं उनको यह समझ में आता तो है कि प्रॉब्लम उनकी जिंदगी में आ रही है लेकिन गेम एडिक्शन के चलते वे प्रॉब्लम को सॉल्व नहीं कर पाते है |

सबसे पहला लक्षण तो ये देखिये बच्चों को आप गेम खेलने के लिए या कंप्यूटर पर होने के लिए उनको समय निर्धारित करते हैं लेकिन वह तय समय पर अपने गेम से वे उठते नहीं है बल्कि लगातार 2 घंटे से 12 घंटे तक बैठ कर देखते हैं उनकी ज़िंदगी की दिनचार्या बाधित होती है भारत में सबसे ज्यादा कंप्यूटर गेम खेला जाता है जहाँ 2020 मे 555 मिलियन वर्ल्ड में गेम खेला जाता है वहीं पर 116 मिलियन भारत में गेम खेलने वालों की संख्या है


ये गेम कंपनियां अपनी गिरफ्त में लेने के लिए बच्चों को पहले छोटा छोटा टारगेट देती उसके बाद फिर बड़ा बड़ा टारगेट एचीव करते हैं उसके बाद गेमिंग कंपनी दूसरा एक गेम मार्केट में ले आती फिर ऐसी स्थिति में बच्चे एक गेम की गिरफ्त के बाद दूसरे गेम में आ जाते हैं दूसरे गेम के बाद तीसरे गेम खेलते रहते हैं और ये 5 साल के बच्चे से लेकर 30 साल तक के बड़े लोगों को अपनी गिरफ्त में कर लेता है

मोबाइल और गेम से दूर रहने के उपाय

  • सबसे पहले तो घर का हर एक सदस्य अपने आप यह वादा करें की एक घंटा और दो घंटा मोबाइल और टीवी से हम लोग दूर रहेंगे और एक साथ बात बैठ कर बातें करेंगे |
  • मोबाइल देखते समय 1 घंटे का या 2 घंटे का एलार्म लगा दीजिये की एक निश्चित समय के बाद आप मोबाइल चलाना बंद कर देंगे और यह नियम सख्ती से पालन करें |
  • मोबाइल और कंप्यूटर को काम करने के बाद इसे कहीं दूर रख दे क्योंकि आपकी नजरों के सामने ये रहेगा तो आप एक सेकंड के लिए भी पकड़ेंगे तो स्क्रॉल करते हुए हो सकता है आप लगातार उसको एक दो घंटा तक चलाते रहें तो बेहतर ये होगा क्या आप अपने कामों को करते समय मोबाइल को एक तरफ रख दे |
  • सोशल मीडिया से दूर रहने का एक तरीका यह है कि आप अपने दिमाग में ये सोचिए कि जो सामने वाला मैसेज देकर या फोटो खींचकर दिखाने की कोशिश कर रहा है वे सही है कि नहीं उस को जाने बिना आप अपनी ज़िंदगी से कंपेयर करने लगते है जिससे कि आप एक तरह से डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं और लगता है कि आपकी जिंदगी में कुछ है ही नहीं तो बेहतर ही होगा की सोशल मीडिया से दूर रहे इससे फायदा तो होने वाला कुछ नहीं है लेकिन नुकसान कई गुना ज्यादा होता है |

  • सुबह उठते समय आप बस टाइम देखें मोएक बार मोबाइल पे अपने ऑफिस के या जरूरत के नोटिफिकेशन देख ले कि कोई जरूरी मैसेज तो नहीं आया है उसके बाद एक तरफ रखकर आप अपने कामों को करें |
  • लोगों की आदत हो जाती हैं उठते ही फ़ोन पर लग जाते हैं और सोते समय भी फ़ोन ले लेते हैं अगर उठने के बाद आप तुरंत ही फ़ोन पर लग जाते हैं तो तो कब एक दो घंटा हो जाएगा आपका कंज्यूम आपको पता भी नहीं चलेगा तो बेहतर होगा कि आप सुबह उसको एक तरफ रखते सारे कामों को करिए

गेम खेलने वाली कंपनियां सबसे पहले लत लगाने के लिए छोटा छोटा टारगेट देती है और उसको रिवॉर्ड पॉइंट देती है जैसे चिकन या केक के, ऐसे ही आप अपने को मोबाइल और फ़ोन से या गेम्स से दूर रखने के लिए अपने को रिवॉर्ड कीजिए बाहर घूमने के लिए जाइए कुछ खाये जैसे आइसक्रीम खाइए और इस तरह से ये आपको एक खुशी देगा एक काम करने का रिवॉर्ड मिलेगा जो डोपामिन आपको रिलीज हो रहा था गेम खेलते समय आपको उससे दूर रहने पर रिलीज होना शुरू हो जाएगा और ये एक आपके आदत में शामिल हो जाएगा |

डेली रूटीन बनाइए अगर बच्चा बहुत ज्यादा गेम खेलता है तो पेरेंट्स ध्यान रखें एक डेली रूटीन बनाएँ और सख्ती से उस रूटीन को फॉलो करवाएं रूटीन को फॉलो करवातें समय ये ध्यान रखना जरूरी है कि आप अपने बच्चे के प्रति बहुत रफ़ न हो बल्कि उसको समझाते हुए उस रूटीन को फॉलो करवाएं |

  • फैमिली में इंटरेक्शन को बनाए रखें जैसे अपने रिश्तेदारों के घर भी जाए या उनको भी आमंत्रित करें या अपने पड़ोसियों से बातचीत करें इससे क्या होगा कि बच्चा इंटरैक्ट होगा वो सोशल मीडिया से भी दूर होगा और गेम से भी दूर होगा और एक तरह से अपने बातों को कहने के लिए और दूसरों की बातों को सुनने के लिए वे जीवन में स्पेस देगा
  • बच्चे को इलेक्ट्रॉनिक सामानों से दूर रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका है की नए तरह से स्किल को भी डेवलप करें जो आप की हॉबी है उसके लिए क्लासेज ज्वॉइन कराएं नए स्किल डेवलप करिए इससे एक तरफ से आत्मविश्वास बढ़ेगा और व्यक्तित्व भी निखर कर सामने आएगा |

  • बच्चे जब बहुत छोटे होते हैं तो इसमें माता पिता की भी गलती हो अक्सर घर के बड़े बेबी सिटिंग के लिए खिलौने तरह मोबाइल का उपयोग करते हैं बच्चे छोटे हो तो माता पिता को बच्चों को बहलाने के लिए मोबाइल कभी भी नहीं देना चाहिए बल्कि फिजिकल ऐक्टिविटी कराएं जिससे कि बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास अच्छी तरह से हो क्योंकि जब निव मजबूत होता है तभी आगे जाकर बच्चे का विकास अच्छी तरह हो सकता है |

  • अक्सर माता पिता बच्चों को पढ़ाई के समय कंप्यूटर और मोबाइल दे देते हैं लेकिन यह पता लगाने की कोशिश नहीं करते कि बच्चा उसमें देख क्या रहा है कभी कभी ये भी होता है की बच्चा * साइड में चला जाता है और अवांछित चीजें देखने लगता है और यह बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है इससे बच्चो को व्यक्तित्व विकास नहीं हो पाता और आगे उसका किसी काम में उसका मन नहीं लगता है |

समय रहते ये बच्चे की इस आदत को सुधार लेना चाहिए नहीं तो इसके परिणाम बहुत ही भयंकर होते हैं आए दिन मीडिया में , प्रेस में इन बातों की खबर आती रहती हैं की कभी किसी बच्चे ने पबजी के लिए पैरेंट की हत्या कर दी या पैसे लेकर भाग गया या सुसाइड कर लिया और ये केवल माता पिता के लिए ही सर दर्द और परेशानी का सबब नहीं है बल्कि पूरे समाज और देश के लिए भी ये परेशानी का सबब है क्योंकि बच्चे किसी भी राष्ट्र के धरोहर होते हैं और उनका संपूर्ण विकास देश का विकास होता है

Online Gaming Addiction

Dr Ragini Singh

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