Abortion Law
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा रो बनाम बेड फैसले को पलट दिए जाने से अब अमेरिका में गर्भपात के लिए संघीय संवैधानिक अधिकार का वजूद नहीं है इससे गर्भपात कानून और महिला अधिकारों को लेकर दुनियाभर में बहस तेज हुई है देश को उन न्यायालयों के बीच विभाजित किया जहाँ गर्भपात प्रक्रिया कानूनी है और जहाँ यह गैरकानूनी है उच्च न्यायालय के फैसले ने संवैधानिक रूप से संरक्षित गर्भपात अधिकारों को समाप्त कर दिया जिसका अर्थ है कि राज्यों को अब प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मिल गई है |
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गर्भपात अधिकार और कानून को लेकर दुनिया भर में बहस तेज हो गई कई वर्षों से नैतिक धार्मिक और कानूनी अधिकार पर हो रही बहस में पोलैंड, आयरलैंड ,मैक्सिको ,ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के लोग खड़े हो गए |
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने छ- तीन के बहुमत से गर्भपात पर मिसीसिपी के प्रतिबंध को बरकरार रखने का फैसला दिया है, इस फैसले से गर्भपात की मंजूरी से जुड़े दो अहम फैसले पलट गए हैं |
जस्टिस Samuel Alan to का कहना है कि असुरक्षित गर्भधारण की अवधि पूरी होने पर भी गर्भावस्था में मौतों के मामले सामने आते हैं चार में से एक अमेरिकी महिला गर्भपात कराती है वर्ष 2021 में एक सर्वेक्षण के दौरान 80% अमेरिकी नागरिको ने ज्यादातर मामलों में गर्भपात का समर्थन किया था साथ ही सर्वेक्षण में शामिल 60 फीसदी लोगों ने रो बनाम वेड मामले में दिए गए अदालत के फैसले का भी समर्थन किया था, क्योंकि अमेरिका में गर्भपात के लिए सुरक्षित देखभाल की व्यवस्था है और इसे नियमित प्रक्रिया के तौर पर देखा जाता है यही वजह है कि अमेरिका में हर चार में से एक महिला गर्भपात कराती कराती है |
24 जून 2022 शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद ही कई अमेरिकी राज्यों ने गर्भपात पर प्रतिबंध लगा दिया जिसमे आर का आई कैंट की लुइसियाना मिसौरी ओकला फूमा और साउथ डकोटा शामिल हैं निर्णय के परिणामस्वरूप लगभग आधे राज्यों से गर्भपात को जल्दी से अवैध या गंभीर रूप से प्रतिबंध करने की उम्मीद है |
गर्भपात कई दशकों से निजता का अधिकार के रूप में देखा जाता है निजता का अधिकार दशकों से प्रजनन के अधिकार को लेकर चिंता करने वालों के लिए यह फैसला ठीक नहीं है उनका मानना है कि निजता का अधिकार के तहत गर्भपात का अधिकार अब खत्म हो जाएगा |
गर्भपात कई दशकों से निजता का अधिकार के रूप में देखा जाता है निजता का अधिकार दशकों से प्रजनन के अधिकार को लेकर चिंता करने वालों के लिए यह फैसला ठीक नहीं है उनका मानना है कि निजता का अधिकार के तहत गर्भपात का अधिकार अब खत्म हो जाएगा |
गर्भपात चाहने वालों को कैसे प्रभावित करेगा यह फैसला अमेरिका समेत दुनिया के अनेक देशों में महिलाओं मैं अनचाहा गर्भ और गर्भपात के मामले आम बात है वहाँ महिलाओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर होता है गर्भपात के अनेक मामलों में संक्रमण अत्यधिक रक्तस्राव और गर्भाशय विकार जैसी समस्या सामने आती है|
वही असुरक्षित गर्भधारण की अवधि पूरी होने पर भी गर्भ अवस्था में मौत के मामले सामने आते हैं चार में से एक अमेरिकी महिला गर्भपात कराती है वर्ष 2021 में एक सर्वेक्षण के दौरान 80% अमेरिकी नागरिको ने ज्यादातर मामलों में गर्भपात का समर्थन किया था साथ ही संरक्षण में शामिल 60 फीसदी लोगों ने रोह बनाम वेड मामले में दिए गए अदालत के फैसले का भी समर्थन किया था क्योंकि अमेरिका में गर्भपात के लिए सुरक्षित देखभाल की व्यवस्था है और इसे नियमित प्रक्रिया के तौर पर देखा जाता है यही वजह है कि अमेरिका में हर चार में से एक महिला गर्भपात कराती है |
वैश्विक मताधिकार समूह सेंटर रिप्रोडक्टिव राइटर्स( C.F.R) और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक ज्यादा देशों में चुनने के अधिकार को प्रतिबंध किया गया है | कई देशों में कानूनी और चिकित्सकीय गर्भपात के लिए अनेक नियम और शर्तें हैं दुनिया के 24 देश ऐसे हैं जहाँ गर्भपात पूरी तरह प्रतिबंधित है |
यहाँ तक कि महिला या शिशु की जान पर जोखिम होने की दशा में भी जबकि 42 देशों में महिला की जान पर खतरा होने पर गर्भपात की इजाजत है | इनमें मेक्सिको चिली पनामा आदि देश है जहाँ भ्रूण असमानता या विकार होने पर गर्भपात की अनुमति है वहीं कुछ देश में बलात्कार के मामले में गर्भपात की इजाजत होती है |
मानसिक और शारीरिक व्यवस्था के आधार पर 51 देश गर्भपात को मंजूरी देते हैं भारत समेत 13 देशों को सामाजिक आर्थिक और स्वास्थ्य दंश दशाओं पर गर्भपात की मंजूरी मिलती है लेकिन 72 देशों में महिला के अनुरोध या बिना कारण बताए गर्भपात की मंजूरी मिली हुई है इसमें से अधिकांश देशों में गर्भकाल की अवधि निर्धारित की गई है रूस आयरलैंड हंगरी आदि देशों में 12 हफ्तों की सीमा तक छूट दी गई है अनुरोध पर गर्भपात की मंजूरी देने वाले 25 देशों में गर्भपात के लिए एक महिला विशेष रूप से नाबालिग के लिए माता पिता की अनुमति की आवश्यकता होती है |
वर्ष 1960 के दशक में बड़ी संख्या में गर्भपात के मामले सामने आने पर केंद्र सरकार के शांतिलाल शाह समिति का गठन किया शांतिलाल लोकसभा के जाने माने नेता थे इन्होंने 1964 में गर्भपात कानूनों के उदारीकरण की सिफारिश की ताकि उन्हें प्रभावी बनाया जा सके और असुरक्षित गर्भपात और मृत्यु दर को कम किया जा सके सन् 1971 में संसद द्वारा दोनों सदनों से पारित हो गया यह अधिनियम 1 अप्रैल 1972 से प्रभावी है अधिनियम को कम जटिल और प्रभावी बनाने के लिए वर्ष 1975 में इसे और संशोधित संशोधित किया गया था मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट बनाने का उद्देश्य
1971 का उद्देश्य गर्भावस्था में कभी कभी माँ एवं बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ जाती है ऐसी स्थिति में यह अधिनियम मुख्य रूप से माँ की जान बचाने के लिए बनाया गया है इस अधिनियम के तहत माँ के गर्भ को समाप्त कर माँ की जान बचाई जा सकती है
चिकित्सा आधार पर चिकित्सा आधार पर जैसा कि माँ का शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य खतरे में हो
बलात्कार के कारण गर्भधारण हो गया हो तब गर्भपात कराना इस अधिनियम के अंतर्गत आएगा
ये सभी प्रकार के गर्भपात केवल पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिसनर ही कर सकता है
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971
इसक प्रावधानो के अनुसार यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि माँ के जीवन को बचाने के उद्देश्य से किसी को भी गर्भपात की अनुमति है लेकिन एम टी पी एल के तहत केवल एक डॉक्टर ही गर्भावस्था को समाप्त कर सकता है |
आईपीसी की धारा 313 कहती हैं कि गर्भवती महिला की सहमति के बिना यदि कोई व्यक्ति गर्भ गिरवाता है तो उसे आजीवन कारावास या 10 वर्ष का कारावास और जुर्माना या दोनों सजा भुगतनी होगी
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में संशोधन एमटीपी एक्ट( MTP Act )
वर्ष 1971 में एमटीपी कानून लागू होने के बाद से अब तक इसमें दो बार संशोधन हो चुका है
पहला संशोधन 2003 में हुआ इस संशोधन के तहत गर्भपात की दवा मिसोप्रोस्टोल के उपयोग के साथ सात सप्ताह तक के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के लिए नए नियम पेश किए गए थे
गर्भपात को मूल कानून में व्यापक संशोधन 1920 में पेश किया गया और उन्हें 2021 में यह कानून लागू हुआ
क्या है मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी संशोधन अधिनियम 2021 इस अधिनियम के तहत निर्धारित परिस्थितियों में चिकित्सकीय सलाह के बाद गर्भपात की अनुमति है
नए कानून में गर्भनिरोध के उपायों के विफल रहने पर 20 सप्ताह के भ्रूण को गिराने की अनुमति है
20 सप्ताह के गर्भ को गिराने के लिए केवल एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर 20 से 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने के लिए दो रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर की राय को अनिवार्य किया गया है जबकि 24 सप्ताह के अधिक के गर्भ के लिए मेडिकल बोर्ड की फिर स्वीकृति की आवश्यकता होगी इस नए कानून में विशेष परिस्थितियों में जैसे बलात्कार पीड़िता , अन्य कमजोर महिलाएं जैसे दिवयांग , नाबालिग आदि शामिल हैं गर्भधारण की अवधि की ऊपरी सीमा को बढ़ा दिया गया है जिसके तहत अब महिला को 24 सप्ताह के भ्रूण के घर भाव गर्भपात की अनुमति है |
अनचाही गर्भास्था को रोकने के लिए गर्भनिरोध के उपयोग गर्भपात देखभाल, गर्भपात प्रबंधन ( गर्भपात प्रेरित गर्भपात अपूर्ण गर्भपात और भ्रूण की मृत्यु सहित) और गर्भपात के बाद की देखभाल के बारे में तकनीकी और नीती मार्गदर्शन प्रदान करता है 1921 में डब्ल्यूएचओ ने गर्भपात देखभाल पर एक समकेतिक दिशा निर्देशन प्रकाशित किया जिसमें गर्भपात देखभाल के लिए आवश्यक तीन डोमेन में डब्ल्यूएचओ की सभी सिफारिशें और सर्वोत्तम अभ्यास विवरण शामिल है कानून और नीती इन नैदानिक सेवाएं और सेवा वितरण भी शामिल है |
डब्ल्यूएचओ के वैश्विक गर्भपात नीतियों का डाटा भी रखता है | गुणवत्तापूर्ण गर्भपात देखभाल के लिए सामुदायिक और स्वास्थ्य प्रणालियाँ के दृष्टिकोण पर शीघ्र काम करता है या असुरक्षित गर्भपात और उसके परिणामों के वैश्विक बोझ पर भी नज़र रखता है कमला हैरिस इन ने गर्भपात पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपमानजनक बताया |Wait of liberty and keep abortion legal डिमांड करने वाली फेमिनिस्ट चिंतकों के लिए यह एक निराशाजनक फैसला रहा है इसी के साथ मैं यहाँ पर अपने लेख को समाप्त करती हूँ |
Abortion care guidelines by WHO
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