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बसंत पंचमी कब है और इसे कैसे मनाएं?

या कुन्देन्दु तुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैस्सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाड्यापहा ॥ १॥
सरस्वती वंदना

बसंत पंचमी मां सरस्वती
मां सरस्वती

एक साल में चार नवरात्रि होते हैं दो गुप्त नवरात्रि होते हैं जो साधकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और लंबे समय तक साधक इसका इंतजार करते हैं माघ महीने में भी एक गुप्त नवरात्रि पड़ता है इसी नौरात्रि के पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाया जाता है l बसंत पंचमी जनमानस का त्यौहार है, बसंत ऋतु में पूरी प्रकृति को एक नवजीवन है क्योंकि शरद ऋतु में सूर्य की तपिश मध्यम पर जाने के कारण हरियाली थोड़ी सी शिथिल पड़ जाती है,

लेकिन वसंत ऋतु आने के साथ ही प्रकृति में एक जान सी आ जाती है और चारो तरफ एक मधुर ध्वनि सुनाई  पड़ती है , कोयल भी अपनी सुरीली स्थान से सभी का मन मोह लेती है l इस दिन धरती पीले चादर से ढक जाती है वे पीले वस्त्र पहन के झूम उठती है क्योंकि चारों तरफ सरसों के पीले  फूल दिखते हैं जिसकी छटा अत्यंत ही मनोहर बनती है l 

बसंत पंचमी का वैदिक और ऐतिहासिक महत्व

ऋग्वेद में सरस्वती देवी की महिमा का वर्णन है यह ज्ञान और विद्या की देवी हैं कहते हैं कि ज्ञानी पुरुष के वाणी  पर सरस्वती का वास होता है l

त्रेता युग में श्री रामचन्द्रजी शबरी के आश्रम में बसंत पंचमी के दिन पधारे थे l उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शीला को पूजते हैं जिसके बारे में उनकी श्रद्धा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे और शबरी माता का मंदिर भी वही पर है l

श्री रामचन्द्रजी शबरी के आश्रम

बसंत पंचमी हमें कुका पंथ के संस्थापक राम सिंह  का की भी याद दिलाती उनका जन्म 1816 ईस्वी में बसंत पंचमी के दिन लुधियाना के भेड़ी ग्राम में हुआ था कुछ समय व महाराजा रणजीत सिंह की सेना में थे l  ये आध्यात्मिक प्रकृति के थे उन्होंने गोरक्षा 100 देसी नारी उत्थान, अंतर्जातीय विवाह, सामुहिक विवाह आदि पर भी बहुत ज़ोर दिया था गौर करने वाली बात है कि उन्होंने अंग्रेजी शासन का बहिष्कार कर अपनी स्वतंत्र डाक प्रशासन की व्यवस्था चलाई थी l

बसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज की भी याद दिलाता हैl उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दियाl  l 17 हुई बार पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर उन्हें अपने साथ मोहम्मद गौरी अफगानिस्तान ले गया पृथ्वीराज चौहान की आंखें फोड़ दी गई और मृत्युदंड दिया गया लेकिन उसके पहले मोहम्मद गोरी उनके शब्द भेदी बाढ़ का कमाल देखना चाहता था l  कवि चंदरबरदाई के परामर्श पर गोरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत दिया तभी चंदरबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया  l

ll चार बास  24 गज अंगुल अष्ट प्रमाण ll  ता ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान ll

पृथ्वीराज ने तवे पर हुई चोट की ध्वनि और चंद्रवरदायी  के संकेत से अनुमान लगाकर जो  बाण छोड़ा वह मोहम्मद गौरी के सीने में सीधा जाकर लगा इसके बाद चंद्रबरदाई ने पृथ्वीराज को पेट में छुरा भोंका और खुद अपने भी उस छुरे से आत्म बलिदान दे दिया यह घटना 1192 ईसवी को बसंत पंचमी वाले दिन हुई थी l

 सिखों के लिए भी बसंत पंचमी का दिन बहुत महत्वपूर्ण है मान्यता है कि सिखों के दसवें गुरु  गोबिंद सिंह जी का विवाह इसी दिन हुआ था l

सरस्वती की उत्पत्ति

वाणी की देवी सरस्वती

ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल छिड़का जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई उनका रूप बहुत ही भव्य था, उनकी एक हाथों में वीणा थी और दूसरे में पुस्तक तीसरे हाथ में माला और चौथे  वर मुद्रा  धारण की हुई थी  l वाह सफेद उज्ज्वल वस्त्र पहनी हुई थी  और कमल के आसन पर विराजमान थी l ब्रह्मा जी ने इस सुंदर स्त्री को वीणा बजाने को कहा तब ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती का नाम दिया l

बसंत पंचमी के दिन पीला और सफेद रंगों का प्रयोग क्यों किया जाता है?

            बसंत पंचमी के दिन पीले रंगों का बहुत महत्व है वैसे पंचमी की देवी सरस्वती माँ उज्ज्वल सफेद वस्त्र धारण किए हुए रहती है, जो ज्ञान सादगी और स्वच्छता का प्रतीक होता है इस दिन पीले रंग का भी अपना एक अलग महत्व है क्योंकि पीला रंग प्रगति, बुद्धिमता ,ज्ञान ,शिक्षा, समृद्धि का प्रतीक होता हैl ज्ञान से आप अपने को समृद्ध, सुखी और संस्कारी बना सकते हैं इसलिए इस दिन जितना हो सके पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए , पंचमी के दिन पीले रंग का चावल पीले रंग की लड्डू और केशर का खीर का भोग लगाया जाता है l

बसंत पंचमी को आप अपने ग्रह कों भी मजबूत कर सकते हैं

 पीला रंग मंगल बृहस्पत और सूर्य ग्रह का प्रतीक है और इस दिन इस को महत्व देने से इन ग्रहों को बल प्रदान होता है क्योंकि गुप्त नवरात्रि रहती है और पंचमी का दिन बहुत ही शुभ दिन होता है l इस समय नौ ग्रह भी जागृत रहते हैं वहीं पर सफेद रंग का भी प्रयोग किया जाता है से माँ सरस्वती सफेद रंग के वस्त्र धारण करती है जो कि शुक्र वैभव और चन्द्रमा जो मन का कारण होता है उसका संकेत देती है,

ज्योतिषियों का ये भी कहना होता है की अगर किसी की कुंडली में केतु परेशान कर रहे हैं तो उनको सरस्वती देवी की आराधना करनी चाहिए इससे केतु के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है, राहु जो भ्रम का कारण होता है माँ सरस्वती की आराधना करके इस को भी नियंत्रित किया जा सकता है l

बसंत

बसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहा जाता है

हर एक महीने की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि माँ लक्ष्मी को समर्पित है इसलिए बसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता हैl इससे यह पता चलता है कि अगर आपके पास बिना शिक्षा और ज्ञान के धन है तो वह बहुत देर  तक स्थाई नहीं रह सकता स्थाई धन लक्ष्मी के लिए जरूरी है कि ज्ञान की लक्ष्मी भी साथ हो l

बसंत पंचमी के दिन क्या करें?

बहुत जगह या विभिन्न सोशल मीडिया में यूट्यूब , ब्लॉग में अक्सर आपको टोटका करने और अन्य गतिविधि करने के लिए कहा जाता है कि आपको लाभ होगा लेकिन यहाँ पर यह ध्यान रखना है कि आप किसी तरह का भ्रम न रखें और शुद्ध मन से माँ सरस्वती को पारंपरिक तरीके से पूजा करे माँ सरस्वती अवश्य प्रसन्न होंगी l

आज के  दिन सुबह नहाना चाहिए अगर आप नदी के किनारे रहते हैं तो संभव हो सके इसमें स्नान करें इस दिन नहाने से पूरे माघ के महीने नहाने का  पुन्य प्राप्त होता है इसलिए इस दिन संगम नहाने का भी विशेष महत्व है क्योंकि त्रिवेणी जिसकों गंगा जमुना सरस्वती का संगम कहा जाता है ऐसा माना जाता है गंगा जमुना तो दो नदियाँ है लेकिन ज्ञानी पुरुष जब उस जगह पर स्नान करते हैं तो वे त्रिवेणी का संगम हो जाता है l

माँ सरस्वती को वाग्देवी भी कहा जाता है

माँ सरस्वती को वाग्देवी भी कहा जाता है इनका संबंध वाणी से भी है वेद की उत्पत्ति इनके ही मुख से हुई है सामान्यत  वाणी को कभी गलत तरीके से प्रयोग नहीं करना चाहिए लेकिन इस दिन माँ सरस्वती की आराधना करने में विशेष ध्यान रखना चाहिए किसी को अपशब्द न बोलें और न ही झूठ बोले क्योंकि यह आपके लिए एक प्रतीक होगा और आगे बढ़ने का तरीका होगा कि आगे आने वाले समय  की शुरुआत अच्छे तरीके से किया जाए  l

बसंत पंचमी किस दिन बनाएँ

5 फरवरी 2022 को पंचमी तिथि है इस दिन शनिवार का दिन है ज्योतिषी गणना के अनुसार पंचमी तिथि का मुर्हूत  सुबह 7:19 से दोपहर 12:35 तक माता की पूजा कर सकते हैं , पहले पंचमी तिथि पर सुबह स्नान करें और पूजा का संकल्प लें इस दौरान पीले रंग का वस्त्र धारण करें पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्धिकरण करें फिर चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर माँ सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करें l

देवी सरस्वती को पीला वस्त्र, पीला चंदन, पीला फूल, पीला भोग, हल्दी अक्षत और केसर अर्पित करें इसके बाद माँ को भोग लगाया और आरती करें आरती करते समय सरस्वती मंत्र और वंदना का पाठ करें l माँ को घर में साफ सात्विक भोजन बनाकर प्रसाद चढ़ाएं और सपरिवार उसे ग्रहण करें परिवार में इससे सौहार्द का वातावरण बना रहता है और माँ का आर्शीवाद भी मिलता है l

नोट- यहाँ दी गई जानकारी सामान्य जन मानस की मान्यताओं और जानकारीयों पर आधारित है http://43.205.213.15 किसी तरह से भी इसकी पुष्टि नहीं करता |

Dr Ragini Singh

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Dr Ragini Singh

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