FEARS OF GLOBAL RECESSION AND INDIA
वैश्विक मंदी GLOBAL RECESSION
जब हम वैश्विक मंदी की बात करते हैं तो उसे आर्थिक मंदी (Economic Recession) के रूप में ही जाना जाता है | सबसे पहला सवाल ये है कि आर्थिक मंदी होता क्या है? यदि किसी देश में जी डी पी (GDP) तीन तिमाही और छह महीने तक लगातार गिरावट के दौर में रहती तो ऐसी स्थिति को आर्थिक मंदी कहा जाता है | पूरी अर्थव्यवस्था में जब मंदी की स्थिति साफ साफ दिखता है तो अर्थव्यवस्था में वस्तुओं का डिमांड कम होता है, लोगों के पास खरीदने के लिए पैसे नहीं होते और उत्पादन सामानों की बिक्री में लगातार गिरावट आती है |
आर्थिक मंदी अर्थव्यवस्था का एक ऐसा कुचक्र है जिसमें फंसकर आर्थिक वृद्धि रुक जाती है | विश्व बैंक ने इस वर्ष वैश्विक आर्थिक वृद्धि को 4.1 प्रतिशत से घटाकर 2.9% कर दिया इस कमी का अर्थ यह है कि आमदनी में लाखों करोड़ों डॉलर की कमी आएगी अमेरिका , यूरोप के मंदी की स्थिति में जाने की आशंका है यानी लगातार दो तिमाहियों से सकल घरेलू उत्पादन में गिरावट आएगी कई अर्थशास्त्री ने भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमानों में 1-2 प्रतिशत की कमी की बात की है इसका मतलब यह होगा कि राष्ट्रीय आमदनी में तीन करोड़ से चार करोड़ की कमी हो जाएगी तथा 50 ह़जार से 80 हजार रोजगार के अवसर घटेंगे | अमेरिका ब्रिटेन और भारत समेत अधिकतर विश्व कीअर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति की चुनौती का सामना कर रही है |
अधिकतर केंद्रीय बैंक ब्याज दर बढ़ा रही है और मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित कर रहे हैं | इस कदम की वजह से निवेशक,. स्टार्टअप कंपनियों को वित्त मुहैया कराने वाले कोष प्रबंधक , बैंक आदि जोखिम उठाने से बचने लगे हैं बीते छे माह से विदेशी निवेशकों ने भारत से 40 अरब डॉलर निकाल लिया है
| इसी तरह जीवन बीमा निगम के शेयरों के दाम घटे और इसका बाजार मूल्य में करीब 1.2,00,000 करोड़ रुपये की कमी आई है |
विश्व व्यापी आर्थिक मंदी अमेरिका में यह संकट 24 अक्टूबर 1929 को प्रारंभ हुआ वैश्विक उपकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के संदर्भ में किया जाता है | वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ है कि पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा यह प्रक्रिया आर्थिक तकनीकी सामाजिक और राजनीतिक शक्तियां का एक संयोजन है वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के संदर्भ में किया जाता है अर्थात व्यापार विदेशी प्रत्यक्ष निवेश पूंजी प्रवाह और प्रौद्योगिकी का निर्विघ्न प्रवाह के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण |
1930 के दशक में महामंदी दुनिया कि अब तक के सर्वाधिक विध्वंसक आर्थिक त्रासदी माना जाता है |इसकी शुरुआत 24 अक्टूबर 1929 को अमेरिका में शेयर मार्केट के गिरने से हुई थी | बैंक दिवालिया हो गया जिसके कारण निवेशकों कंपनियों के कार्य ठप हो गया और लोग बेरोजगार हो रहे थे |
कर्ज में दबे लोग आत्महत्या कर रहे थे आर्थिक मंदी की शुरुआत वर्ष 1923 के अमेरिका के शेयर बाजारों बाजार चढ़ना शुरू हुआ और चढ़ता ही चला गया लेकिन 1929 तक आते आते इसमें अस्थिरता के संकेत आने लगे अंततः 24 अक्टूबर 1929 को 1 दिन में करीब पांच अरब डॉलर का सफाया हो गया अगले दिन भी बाजार का गिरना जारी रहा और 29 अक्टूबर 1929 को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और बुरी तरह गिरा और 14 अरब डॉलर का नुकसान हुआ इस तरह 29 अक्टूबर 1929 के दिन मंगलवार को ब्लैक ट्यूजडे की संज्ञा दी गई यह मंदी दूसरे विश्व के युद्ध की शुरुआत होने तक अर्थात 1939 तक चली थी |
प्रथम विश्व युद्ध के बाद लोगों में विकास की उम्मीद जगी जिससे अमेरिका में औद्योगिक क्रांति हुई ग्रामीण लोग अच्छी नौकरी के लिए शहरों की ओर विस्थापित हुए कृषि और औद्योगिक उत्पादों का व्यापक पैमाने पर उत्पादन हुआ लेकिन उत्पादन की तुलना में सभी चीजों की मांग नहीं बढ़ी जिससे कंपनियों के सेल्स कम हो गए चीजों का स्टॉक बढ़ा बैंको को लोन चुकाना बंद हुआ बैंक कंगाल हुए शेयर मार्केट गिरा और फिर हालात बिगड़ गए मंदी आने की प्रक्रिया इस प्रकार है|
बैंक दिवालिया हो गया उत्पादन घटा लोगों की नौकरियां खत्म हो गई बैंको के पास लोन देने की शक्ति कम हो गयी लगभग 9000 बैंको का दिवालिया निकल गया बैंक में जमा राशि का बीमा न होने से लोगों की पूंजी खत्म हो गई और जो बैंक बचे रहे हैं उन्हें पैसे का लेनदेन रोक दिया गया बाजार में वस्तु और सेवा की मांग कम होने लगी जिसके परिणामस्वरूप कंपनियों ने उत्पादन कम कर दिया जिससे कंपनियां बंद होने लगी लोगों की नौकरियां छूट गई फलत नौकरीया जाने से अमेरिका से पूरी दुनिया में महा मंदी छा गई|
1929 की महामंदी का असर पूरी दुनिया पर पड़ा कनाडा में औद्योगिक उत्पादन 58% कम हो गया और राष्ट्रीय आय 55% गिर गया था|
1931 की आर्थिक मंदी के कारण ब्रिटेन को स्वर्णमान का प्रतीक त्याग करना पड़ा सरकार ने सोने का निर्यात बंद कर दिया|
इस मंदि में औद्योगिक उत्पादन की दर में 45 फीसदी की गिरावट आई इस मंदी के कारण 5000 से भी अधिक बैंक बंद हो गए थे |
इस तरह अमेरिका से शुरू हुई आर्थिक मंदी पूरे विश्व को प्रभावित किया
Russian energy crisis
वर्तमान में रूस यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक मंदी की संभावना बढ़ती चली जा रही है तेल की कीमतों में लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई है भारत तेल खरीदकर रूस द्वारा दी जा रही भारी छूट का लाभ उठाने के लिए इच्छुक है ऐसा करने पर G _7 के सदस्य देश नाराज होंगे जो रूस के संपूर्ण बहिष्कार चाहते हैं ओर उसके ऊपर यूक्रेन से पीछे हटने के लिए आर्थिक दबाव बनाया जा सके|
यूक्रेन संघर्ष की वजह से ऊर्जा तेल के अलावा खाद्य वस्तुओं का मूल्य भी बहुत अधिक हो गए मुद्रास्फीति अन्य उपभोक्ता वस्तुओं और निर्माताओं की लागत को भी प्रभावित कर रही है मुद्रास्फीति की एक अतिरिक्त कारण चीन के लॉक डाउन भी है कोविद के कारण चीन पर अत्यधिक प्रतिबंध लगा दिया गया था जिसके असर पूरे विश्व पर पड़ा सामानों की कमी के लिए अलग अलग कारणों से चीन और रूस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है दोनों देशों के राष्ट्रपतियों को G- 7 में आमंत्रित नहीं किया गया |
मुद्रास्फीति (Inflation)
विश्व मुद्रास्फीति जनित मंदी की ओर बढ़ रहा है और भारत इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता घरेलू मांग और वित्तीय सहयोग से मुद्रास्फीति को कम किया जा सकता है मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए रिज़र्व बैंक ने होम लोन की ब्याज दरें बढ़ा दी है ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखा जा सके महाराष्ट्र जैसे बड़े औद्योगिक राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति भी चिंताजनक है अस्थिरता का अर्थ है निष्क्रियता या निर्णय प्रक्रिया का लकवाग्रस्त हो जाना जो रफ्तार की गति को धीमा कर सकता है मंदी के दौर में प्रवेश कर रहे पश्चिमी अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत में सकारात्मक वृद्धि होगी पर यह शायद उतना अधिक नहीं होगा जिसकी जरूरत है आने वाले 6 -12 महीने में भारत के लिए कठिन रहेगा |
“I’ve studied the Constitution and the Bill of Rights, and I don’t see anywhere that we have to have recession every four years. I don’t see why you can’t have a decent environment for years and years.”Peter Lynch
Note – http://43.205.213.15 किसी तरह से वित्तीय सलाह नहीं देता आप अपने वित्तीय प्रबंधन के लिए वित्तीय सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें |
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