Autism spectrum things you should know in 2022.

Autism spectrum

ऑटिज्म क्या है?

ऑटिज्म। क्या है जानने के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि यह एक प्रकार का बिमारी नहीं,
बल्कि यह एक प्रकार। का न्यूरोलॉजिकल ओर विकास संबंधी विकलांगता है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम
डिसऑर्डर एक स्नायविक और विकासात्मक विकार है।

ऑटिज्म। क्यों होता है?

ऑटिज्म क्यों होता है अभी तक एक पहेली बनी हुई है। लेकिन यह कहा जा सकता है कि कुछ
अनुवांशिक और कुछ पर्यावरण कारण है।

ऐसा अनुमान है? की आज प्रत्येक 88 बच्चों में से एक ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित हैं। लड़कों में लड़कियों से
4% ज़्यादा होने की संभावना होती है। ज्यादातर माँ बाप या उनके परिजन इस बात को स्वीकार नहीं करते। जिसके
कारण बच्चों की जिंदगी और भी दुर्लभ और चुनौतीपूर्ण हो जाती है। इस तरह के बच्चों के लिए, यह जरूरी हो जाता है
कि लोग उनकी बातों को सुनें और उनकी बात को समझ सके।

A girl child with Autism

अनुवांशिक रूप से यह देखा गया है कि लड़की में है तो
7% बच्चो में होने की ज्यादा संभावना होती है, और अगर लड़के में ऑटिज्म हो तो 4% उसके बच्चे में होने की ज्यादा
संभावना रहती है। यदि माता पिता दोनों को ऑटिज़म हो तो बच्चो में ऑटिज़म होने की संभावना 25% तक बढ़
जाती है।

बच्चे में ऑटिज्म को कैसे पहचानें?

ऑटिज़म की जांच हम किसी साइंटिफिक टूल से नहीं कर सकते हैं बल्कि बच्चे के व्यवहार को देखकर और अनुभव कर
कर अनुमान लगाया जा सकता है। इस को जांचने के लिए कोई फैंसी टूल्स की जरूरत नहीं होती है। जितनी जल्दी
बच्चे के व्यवहार को पहचाना जाए उतना ही बच्चे और बच्चे के माता पिता के लिए ज़्यादा अच्छा होगा।
ऑटिज्म वाले बच्चों में सामान्यतया। तीन तरह की समस्याए दिखती है।

  • Difficulty in communication
  • Forming Relationship with other
  • Repetitive behaviour

Social smile तीन महीने के बाद बच्चा अपनी माँ को पहचानने लगता है और आसपास के लोगों को भी
पहचानने की कोशिश करता है। इस समय माँ को देखकर मुस्कुराता है या उसके पास जाने की इच्छा जताता
है या उसके न रहने पर लोगों को देख कर बच्चा रोने भी लगता है। जब ये सब बच्चा ना करे छे महीने तक
सचेत हो जाना चाहिए।

Communication behaviour
  1. 6 महीने से 9 महीने तक कुछ कुछ शब्दों को लेकर बच्चा बड़बड़ाने लगता जैसे बाबा, मम्मा मुंह से एक दो
    शब्द वे निकालता है। यहीं पर 12 या 16 महीने तक बच्चा शब्दों को ना बोले तब यहाँ पर भी जागरूक हो
    जाना जरूरी है। क्योंकि ज़रूरी नहीं है कि आपका बच्चा ऑटिज़म का ही शिकार हो हो सकता है, (Delay

Speech) स्पीच का प्रॉब्लम या हियरिंग का प्रॉब्लम ,न सुनने का प्रॉब्लम हो सकता है तो ऐसे में जरूरी हो
जाता है कि आप डॉक्टर से संपर्क करें। जिससे पता चले कि बच्चे में ऑटिज़म है या ना सुनने का कोई
अंदरूनी बिमारी।

  1. 1 साल या डेढ़ साल के होने के बाद भी उसके नाम पुकारने पर कोई प्रतिक्रिया न देना। किसी चीज़ की ओर
    इशारा न करना। कोई भाव चेहरे पर ना आना। ऑटिज्म के लक्षण हो सकते हैं।
  2. गुमसुम सा दिखना ,आँखें मिलाकर बात ना कर पाना, दूसरे की बातों को बेमतलब दोहराना यह भी
    ऑटिज्म के लक्षण हो सकते हैं। ऑटिज़म वाले बच्चों को नाम से पुकारने पर भी वे कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं
    , और अपनी ही दुनिया में खोए रहते।
  3. इस विकास की प्रक्रिया में आप अपने आप यह अंदाजा न लगाएं। आपकी दादा दादी ने या नाना नानी ने
    कहा था कि मैं भी देर से बोला था या बोली थी? ऐसे व्यवहार को कभी भी इग्नोर नहीं करना चाहिए।
  4. ऑटिज़म बच्चों में सहानुभूति का अभाव होता है। इसलिए वहीं दूसरे तक अपनी भावनाएँ नहीं पहुंचा पाते
    या उनके हाव भाव एवं संकेतों को वे समझ नहीं पाते।
  5. तेज आवाज ओर उनको छूने से ओवर सेंसेटिव ( Over Sensitive) हो जाना। समझने, मिलने जुलने और
    बातचीत में परेशानी, ध्यान लगाना मुश्किल, कभी कभी बच्चा हाइपर एक्टिव हो जाता है, हिंसक व्यवहार
    भी कर सकता है।
  6. ऐसे बच्चे एक रूटीन को फॉलो करना पसंद करते अगर उसमें कोई फेरबदल होता है वे एडजस्ट नहीं कर
    पाते।
  7. कुछ बच्चे एक ही तरह के व्यवहार बार बार करते हैं, और थोड़े से बदलाव से ही वह हाइपर हो जाते हैं।

ऑटिज्म का इलाज कैसे किया जाए?

ये कोई बिमारी नहीं है तो इसका इलाज भी नहीं। या माता पिता को स्वीकार करना होगा। दूसरी
बात यह भी समझना आवश्यक है की उनका बच्चा Spaicial है। इसीलिए वे सीखेगा तो अलग ढंग
से, और यह जानना जरूरी है कि उसके कैसे सिखाया जाए ,यानी की कैसे सीखाना है? यह सीखना
जरूरी।

ऑटिज्म वाले बच्चों का इलाज एक जैसा नहीं हो सकता है। बल्कि दो अलग अलग बच्चों में अलग अलग सिखाने के या
ठीक करने की प्रक्रिया अलग अलग होनी चाहिए क्योंकि बच्चो में एक जैसी समस्याएं नहीं होती। माता पता इस बात
का ध्यान रखें, आपके बच्चों को आप की खास जरूरत है। उसका साथ न छोड़े हीनता की भावना। खुद में और न ही
बच्चे में आने दे।

ये भी देखना जरूरी है की उनमें सीखने की कितनी क्षमता है या उनकी बुद्धिमत्ता कितनी? और उसके अनुसार ही
उनको ट्रीटमेंट दिया जाए। कभी कभी ये भी हो सकता है की ऑटिज्म के साथ मेंटल रिटायरमेंटकी भी समस्या, आ
सकती है तो ऐसे में केस और भी कॉम्प्लिकेटेड हो जाता है। यद्यपि मेंटल रिटायर्ड या मंदबुद्धि ओर ऑटिज्म दोनों एक
नहीं लेकिन किसी बच्चे में इन दोनों को एक साथ होने की संभावना हो सकती है। डॉक्टर मधुलिका का कहना है
ऑटिज़म वाले 3% बच्चों में एपीलेप्सी भी पाए जाते हैं।

यह कोई बिमारी नहीं है तो इसे क्योर नहीं किया जा
सकता बल्कि इनके बिहेवइयर पैटर्न को सुधारा जा सकता है। जो चैलेंजिंग बिहेवइयर है उसे ठीक जा सकता है।
जितना जल्दी ट्रीटमेंट शुरू हो उतना ही सुधार की संभावना ज्यादा होते है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका घर के
सदस्यों की होती है।

अगर बच्चा बोल रहा है तो उसे बोलना सीखाना ज्यादा आसान होता है उसके अपेक्षा जो कि
बोल नहीं रहा है। सिखाने में उनकी मानसिक विकास प्रक्रिया को भी देखना होता है। उनके सोशल स्किल (Social
Skill ) और फंक्शनल स्किल (Functional Skill ) को डेवलप करना होता है व अनवांटेड बिहेवइयर (Unwanted
behaviours ) को दूर करने की कोशिश करनी होती है।ऑटिज्म के सुधार के लिए कुछ उपाय किये जा सकते जैसे-
● सामाजिक कौशल प्रशिक्षण।
● संज्ञानात्मक व्यवहार वादी रोगों का उपचार।

Autism control

माता पिता की शिक्षा और प्रशिक्षण।

● भाषण भाषा चिकित्सा।
● विशेष शिक्षा कक्षाएं।
● डॉक्टरों के सलाह पर मेडिसिन।
वर्तमान में इसका कोई इलाज नहीं केवल सही गाइडेंस और सलाह से बच्चा अपने सामने आने वाली
चुनौतियों से पार पाना सीख सकता है। यदि माता पिता अपने बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण देखते हैं, तो बाल
रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।

Merrick Egber – Administrative Assistant, Els for Autism Foundation – Chair of the Advisory Board

“I used to think, when I was first diagnosed with Asperger’s Syndrome – a form of autism, about what I can’t do, rather than what I can do, which was a mistake in thinking” Merrick Egber – Administrative Assistant, Els for Autism Foundation – Chair of the Advisory Boardhttps://www.elsforautism.org/30-quotes-from-30-people-with-autism/

Note -यह वेबसाइट thevibarentray.com किसी तरह की विशेषज्ञता का दावा नहीं करता है, यह लेख
केवल सामान्य जानकारी पर आधारित।

Dr Ragini Singh

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