कोर्ट ने 65 वर्ष के ब्यक्ति को एकक्यूस मानते हुए उसे आजीवन कारावास सजा सुनाई प् नोएडा की घटना है ,अकबर अली ने 3 साल की बच्ची के साथ डिजिटल रेप किया 2019 अकबर अली अपनी बेटी के ससुराल आया पड़ोस के 3 साल की बेटी थी उससे डिजिटल रेप की और बच्ची जाकर अपने माता पिता को बताती हैं, उसी समय एफआईआर दर्ज होता है और अकबर अली को जेल भेज दिया जाता है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उसके इंटरिम बेल को भी रिजेक्ट कर दिया और न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50,000 का जुर्माना भी लगाया।
इस जगह पर जब डिजिटल का उपयोग किया जा रहा है तो इसका मतलब ये मत समझिये की कोई ऑनलाइन सेक्शुअल हरासमेंट या छेड़खानी हुई है, ये उससे एकदम अलग चीज़ है यहाँ पर इस आर्टिकल में हम समझेंगे इसके लाने के क्या कारण रहे हैं? और इसको कैसे डिफाइन किया गया? सबसे पहले, हम डिजिटल शब्द को समझेंगे।
इंग्लिश डिक्शनरी में(Digit) डिजिट जिसका अर्थ होता है ऊँगली, अंगूठा या पैर की उंगलियों उसको डिजिट कहते हैं। जब कोई भी किसी के प्राइवेट पार्ट में बिना उसके सहमति के अपनी उँगली पैरों का अंगूठा या कोई ऐसी वस्तु डालता है तो वह डिजिटल रेप की कैटेगरी में आता है।
निर्भय के घटना जब सारा देश दहल गया था। निर्भयआ के प्राइवेट पार्ट में सरिया या रॉड डाल दिया गया था 2012 सुप्रीम कोर्ट ने इसमें ऐक्शन लिया क्योंकि इसके पहले इस तरह के एक्ट को यह डिफाइन नहीं किया गया था कि इसे मॉलेस्टेशन माना जाए या सेक्शुअल ऑफेंस माना जाए। लेकिन 2013 से इस सेक्शुअल ऑफेंस मानते हुए डिजिटल रेप उसका नाम दिया गया और इसे सेक्शुअल ऑफेंस माना गया ना कि मॉलेस्टेशन।
यहाँ पर डिजिटल रेप क्यों बोला जा रहा है दरअसल 2012 के पहले भी कई इस तरह की घटनाएं हुई। दिल्ली मैं ऑटो ड्राइवर ने 60 साल की महिला के साथ डिजिटल रेप किया था उस महिला के अंदर लोहे के छड़ को इन्सर्ट कर दिया यहाँ पर उसने अपनी सेक्शुअल ऑर्गन को इन्सर्ट नहीं किया क्योंकि इस घटना में अपराधी कानून के लूप्होल के कारण आईपीसी सेक्शन 375 और 376 के सहत सजा नहीं मिली।
निर्भयता केस के पहले अगर कोई भी अपराधी किसी महिला के प्राइवेट पार्ट में कोई ऑब्जेक्ट डालते थे तो उससे छेड़खानी molestation के तहत देखा जाता था रेप के रूप में नहीं। तरह 2012 में मुंबई में एक केस आया था, जिसमें 2 साल की बच्ची के साथ रेप। इसमें टेस्ट में। सीमन नहीं पाए गए, लेकिन उसके प्राइवेट पार्ट पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया ऑफेंडर उसके खुद पिता ही थे। पिता को detain गया, लेकिन सेक्शन आइपीसी। 376 के तहत् नहीं ठहराया गया। क्योंकि इस तरह की घटना को एक मोलेस्टेशन के रूप में देखा जाता था। इसी सारे कमी के कारण ऑफेंडर बच जाता था। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया और कहा हमें रेप के डेफिनेशन को चेंज करने की जरूरत है। इसके पश्चात् निर्भयता की घटना के बाद सरकार ने। रेप के डिफिनेशन को 2013 में विस्तृत किया।
नए परिभाषा के अनुसार अब बलात्कार में वे दुष्कर्म भी शामिल किया गया, जिसमें महिला के प्राइवेट पार्ट, मुँह या गुदा मै लिंग या कोई बस्तु या अन्य बॉडी के पार्ट उसके बिना सहमति के डाले जाएं तो यह बलात्कार की श्रेणी में रखा जाएगा। बलात्कार को माइनर और मेजर दो कैटगरी मैं आता है। किसी माइनर और मेजर का बलात्कार करने पर सैक्शन 375 ओर सेक्शन 376 लगता है।लेकिन माइनर के साथ एक और धारा POCSO Act भी लगाया जाता।
2006 में, संयुक्त राष्ट्र महिला ने महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को संबोधित करने के लिए सरकारों द्वारा की गई कार्रवाइयों को एकत्र करने के लिए एक वैश्विक डेटाबेस की स्थापना की। डेटाबेस में हिंसा के विभिन्न रूपों के डेटा के साथ देश की प्रोफाइल शामिल है। https://www.unwomen.org/en/what-we-do/ending-violence-against-women/research-and-data
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