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Investment is the final step of money management

“Money is always eager and ready to work for anyone who is ready to employ it.”
― Idowu Koyenikan, Wealth for All: Living Life of Success at the Edge of Your Ability

Investment is the final step of money management (वित्तीय प्रबंध का अंतिम  कदम निवेश होता है)

investment is the final step of Money Management

निवेश एक जरिया है जो व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुंचाता है, जिससे  वह  अपने जीवन यह निर्धारित कर सकता है कि आगे के खर्चे को किस तरह से पूरा करें ? फाइनेंशियल प्लानिंग में अगर आपने  हेल्थ  इंश्योरेंस टर्म इंश्योरेंस इमरजेंसी फंडऔर सेविंग कर लिया है सबसे अंतिम कदम होता है  आपके निवेश का | अपने पैसे को सेविंग्स अकाउंट में रख कर आप कभी भी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते हर एक व्यक्ति को निवेश का अलग अलग लक्ष्य होता है कुछ के शॉर्ट टर्म लक्ष्य होते हैं और कुछ व्यक्ति के लॉन्ग टर्म लक्ष्यों साथ में कोई शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों ही लक्ष्य बना सकता है तो उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आपके रणनीति क्या होनी चाहिए ?

Investment plans निवेश की रणनीति (तैयारी)

  1. आप अपने निवेश की रणनीति किस प्रकार तैयार करें कि ? जिससे आपअपने लक्ष्य तक पहुँच कर आसानी से अपने जीवन को सुलभ बना सके | रणनीति तैयार करते समय यह ध्यान रखना बहुत आवश्यक है एक निवेशक को कि अपनी आवश्यकताओं को समझे अपनी आमदनी की समीक्षा करें साथ में ये भी देखना जरूरी है कि उसकी उम्र क्या है  ?और उसके ऊपर कितने लोग डिपेंड है या घर में आने वाले आमदनी का जरिया कौन कौन सा है ?

निवेश की रणनीति  दो प्रकार से की जा सकती है |

पहला  जीस निवेश में गारंटी के अनुसार ब्याज  मिलता है |

दूसरा   निवेश जिसमे उतार चढ़ाव होता है |

निवेश करते समय अपने आवश्यकता को समझिए अपनी आमदनी का भी आकलन कर लीजिए साथ में ये ध्यान रखें कि आपकी उम्र क्या है आपके ऊपर निर्भर होने वाले सदस्यों की संख्या कितनी है उसके अनुसार ही आप अपने निवेश की रणनीति को बनाएँ और तभी आपका निवेश सही हो पाएगा हर एक निवेश के लिए आपको अपने लक्ष्य को निर्धारित करना अपने समय सीमा को भी तय करना होगा कि आपको  कितने पैसों की जरूरत है और कितने समय बाद उन पैसो की आवश्यकता पड़ेगी |

निवेश करते समय यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि आपके जोखिम लेने की क्षमता कितनी है क्योंकि जितना ज्यादा जोखिम लेने की क्षमता आप में होगी ज्यादा रिटर्न की संभावना अधिक होगी | आप अपने अनुसार रिस्क प्रोफाइल को चुन सकते हैं |

पहला कंजरवेटिव इन्वेस्टमेंट इस इन्वेस्टमेंट में फिक्स डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट, नेशनल स्कीम सर्टिफिकेट ओर सरकारी बॉण्ड आते हैं |

दूसरा मॉडरेट इन्वेस्टमेंट में जोखिम कंजरवेटिव इन्वेस्टमेंट से थोड़ा ज्यादा होता है यहाँ पर निवेशक अपने को सुरक्षित रखते हुए जोखिम को उठाते हैं |

तीसरा एग्रेसिव इन्वेस्टमेंट किस इन्वेस्टमेंट में जोखिम ज्यादा होता है क्योंकि निवेशक या तो शेयर मार्केट में  या रियल एस्टेट में सीधे निवेश करता है अधिकतर एग्रेसिव इन्वेस्टमेंट में 50 के उम्र के अंदर वाले व्यक्ति के लिए ज्यादा सुविधाजनक होता है |

ASSET ALLOCATION एसेट एलोकेशन

ASSET ALLOCATION

निवेश करते समय जब विभिन्न एसेट में अपने निवेश को बांटते हैं तो उसे एसेट एलोकेशन कहते हैं एसेट एलोकेशन हर एक व्यक्ति के लिए अलग अलग होता है , अपने जोखिम और फायदे को देखते हुए कोई बैठती जब अपने निवेशकों स्टॉक , म्यूचुअल फंड, गोल्ड रियल ,एस्टेट ईटीएफ बॉन्ड और एफडी जैसे एस्टेट में निवेश करता है तो उसे एस्टेट एलोकेशन कहते हैं एसेट एलोकेशन करते समय अपने लक्ष्य को निर्धारित करें और निवेश मे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने समय और धैर्य दोनों देने होते है |

Diversification डाइवर्सिफिकेशन

Diversification of Investments

किसी भी निवेशक को निवेश करते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि अपना सारा बचत किसी एक एसेट  में न डालें जैसे कि किसी भी व्यक्ति को अपने सारे बचत को केवल एफडी में नहीं रखना चाहिए या किसी एक स्टॉक में  सारे पैसे नहीं डालने चाहिए या केवल प्रॉपर्टी में ही अपनी सारी निवेश नहीं रखना चाहिए इससे यह फायदा होगा की  जोखि आपकाम थोड़ी कम हो जाता है और कोई एक एसेट में मंदी के दौर हो तो दूसरा एसेट फायदा दे जाता है |

ओवर डाइवर्सिफिकेशन न करें

निवेश करते समय किसी निवेशक को यह भी ध्यान रखना चाहिए की उसके पोर्टफोलियों में ओवर डाइवर्सिफिकेशन न हो क्योंकि  ओवर डाइवर्सिफिकेशन से जो लक्ष्य पाने की कोशिश करते हैं वे लक्ष्य मिलने में आपको देरी हो सकता है ओवर डायवर्सिफिकेशन का मतलब यह हुआ कि आप पूरा मार्केट ही खरीद रहे हैं जिससे कि निवेश में मनचाहा लाभ मिलने में मुश्किल हो सकती है |

रिस्क कैपेसिटी

रिस्क कैपेसिटी का मतलब यह होता है कि कोई निवेशक अपने निवेश करते समय कितना जोखिम उठा सकता है या उसके जोखिम उठाने की क्षमता क्या है क्योंकि किसी एक व्यक्ति के लिए ₹1,00,000 डूब जाने पर भी इससे उसको कोई फर्क नहीं पड़ेगा जबकि किसी अन्य व्यक्ति के लिए 1000 का घाटा सहने में भी वह तकलीफ में पड़ सकता है हर एक व्यक्ति का जोखिम उठाने की क्षमता उम्र के अनुसार भी अलग अलग होती है कम उम्र के व्यक्ति के पास जोखिम उठाने की क्षमता ज्यादा होती है वे बाजार के उतार चढ़ाव को अच्छी तरह झेल सकता है क्योंकि वे अपने निवेश में समय ज्यादा दे सकता है वहीं एक बुजुर्ग व्यक्ति जिसकी उम्र ज्यादा हो गई है और वे रिटायरमेंट के करीब है या रिटायर हो गया है तो ऐसे व्यक्ति निवेश में ज्यादा जोखिम नहीं उठाना चाहिए | क्योंकि यदि पैसे की जरूरत समय  बाजार  मंदी के दौर में हो तो  उसके लिए निवेश एक घाटे का सौदा हो जाएगा यहाँ पर हर एक निवेशक को अपने पद स्थितियों , अपने उम्र और अपने पैसे की स्थिति को देखकर जोखिम उठाने की रणनीति  निर्धारित करनी चाहिए |

निवेश एक जटिल प्रक्रिया बेहतर यही होगा कि आप किसी एक्सपर्ट की सलाह लेकर निवेश करें जिससे आप अपने मनमुताबिक लक्ष्य को प्राप्त कर सके |

Note – http://43.205.213.15 किसी तरह से वित्तीय सलाह नहीं देता आप अपने वित्तीय प्रबंधन के लिए वित्तीय सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें |

Dr Ragini Singh

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