Human Behavior And Guidance Psychology.

मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार mental health and behavior

mental health and behavior मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार

मानसिक स्वास्थ्य का तात्पर्य समाज द्वारा निर्धारित अनुकूलित व्यवहारों से होता है, जो व्यक्ति को अपनी जिंदगी के हालातों के साथ पर्याप्त रूप से मुकाबला करने की अनुमति देता है| इतिहास पर ध्यान दे तो स्पष्ट होगा कि मनोवैज्ञानिको की अभिरुचि मानसिक स्वास्थ्य के अध्ययन में एक विशेष आन्दोलन के फलस्वरूप हुआ |

इस आंदोलन का नाम मानसिक स्वास्थ्य आंदोलन है जिसके शीर्ष  डी एल डिक्स(D.L. Dix ) एवं किल फोर्ड डब्ल्यू  बीयर (Clifford w.Beers ) थे  | बींसवीं सदी की शुरुआत में   बीयर ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य समिति की स्थापना की और संयुक्त राज्य में प्रथम आउट पेंशन मानसिक स्वास्थ्य क्लिनिक खोला गया  |

मानसिक स्वास्थ्य मनुष्य के सोचने समझने एवं महसूस करने की क्षमता को प्रभावित करता है ठीक इसके विपरीत भक्ति का मन संवेग प्रेरणा इच्छा परिस्थितियों के अनुकूल न हो तो बीकारों से पीड़ित हो जाता है |

मानव जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य के समान ही मानसिक स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देना आवश्यक है |शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं | किल फ़ोर बियर द्वारा लिखित पुस्तक ए माइंड दैट फाउंड इट सेल्फ (A mind that it self ) ने मनोवैज्ञानिको को मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में चिंतन करने पर विवश कर दिया |

कुप्पुस्वामी के शब्दों में “ मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है दैनिक जीवन में भावनाओं , इच्छाओं  , महत्वकांक्षाओं एवं आदर्शों में संतुलन बनाए रखने की योग्यता है” | स्वास्थ लोगों का आत्म सम्मान आत्मबोध स्व- मूल्यांकन की प्रवृत्ति उच्च स्तर की होती है इसी तरह स्वास्थ व्यक्तियों में प्रसन्न रहने की आदत पाई जाती है, ऐसे व्यक्ति अपने कार्यों में अधिक उत्पादक होते हैं |

मानसिक रूप से सवस्थ व्यक्ति में तनाव एवं अति संवेदनशीलता का अभाव पाया जाता है इनकी सकारात्मक चिंतन जीवन की समस्याओं का हल निकालने में सफल होता है |

ऐसा व्यक्ति निराशा , अवसाद  का शिकार नहीं होता है मानसिक स्वास्थ्य का मनोरोग से नकारात्मक संबंध है तथा जब व्यक्ति के अंदर निराशा, कुंठा , भय ,स्वयं पर विश्वास न हो ना तब धीरे- धीरे मनोरोग से ग्रसित होने लगता है जो स्वयं और संबंधित परिवार के लोगों को समझ में नहीं आता है, वह एकांत में रहने लगता है या चुप होकर किसी चीज़ को देखता रहता है तो सभी कहने लगते हैं “ ये पता नहीं क्या हो गया है?

कि चुप रहता है कुछ बोलता ही नहीं है” यही  प्रथम अवस्था है, जब व्यक्ति मानसिक रोग की तरफ अग्रसर होता है ऐसी स्थिति में मनोवैज्ञानिक सुझाव की जरूरत पड़ती है आज के कंप्यूटराइज युग में बच्चों का झुकाव मोबाइल  ,गेमिंग की तरफ तेजी से बढ़ रहा है जो बच्चों को भावना रहित बना दे रहा इसका परिणाम यह रहा है कि बच्चे किसी की हत्या करने में नहीं हिचकते हैं  निष्कर्ष हैं की बच्चा मनोरोग से ग्रसित हो रहा है  |

आधुनिक युग में, मानसिक बिकारों का शिकार होना एक आम बात है| तनाव चिंता, अवशाद , सिंजोफ्रेनिया ये सभी मानसिक रुग्णता में गिने जाते हैं मानसिक रोगी पर्यावरणीय और अनुवांशिक दोनों तरह के होते हैं |

न्यूरोडेवलपमेंट बिकार (neurodevelopment disorders ) आम तौर पर शिशु अवस्था या बचपन में शुरू होने वाली समस्याओं को शामिल किया जाता है, उदाहरण के तौर पर – ध्यान का अभाव (Attentention defieit )अति शक्रियता बिकार ( Hyperactivity disorder ) और सीखने का विकार (learning disorder ) शामिल है |

मनोरोग के अंतर्गत अवसाद भी आता है इस मनोदशा से समाज का अधिकांश व्यक्ति पीड़ित है इससे पीड़ित व्यक्ति निराश तथा अपने कार्यों के प्रति उनकी रुचि घटती जाती है समाज एवं परिवार से मिलना – जुलना भी बंद कर देता है| पीड़ित व्यक्ति दैनिक समस्याओं एवं तनाव से निपटने में असमर्थ होता है| इनमें हिंसक प्रवृत्ति आ जाती है और आत्मघाती सोच मस्तिष्क में उत्पन्न होने लगता है | पांच में से एक व्यक्ति को कभी ना कभी कोई मानसिक बिमारी होती है |

मानसिक रोग किसी भी उम्र में हो सकता है | मानसिक रोग का प्रभाव अस्थायी या स्थायी हो सकते हैं आप को एक समय में एक से अधिक मानसिक रोग भी हो सकते हैं उदाहरण के लिए आपको डिप्रेशन और शराब या ड्रग्स संबंधी विकार एक ही समय पर हो सकते हैं |

मानसिक रोग की पांच श्रेणियाँ

  • Mood disorder
  • Anxiety disorder
  • Personalty disorder
  • Psycotic disorder
  • Eating disorder

मानसिक बिमारी क्या है और क्या नहीं है ? इस बारे में मेडिकल कम्युनिटी में आम राय नहीं है | मानसिक बिमारी किसी भी समाज और संस्कृति में अलग- अलग हो सकती है लेकिन मानसिक बीमारियां सभी देशों और संस्कृतियों में होती है इससे पता चलता है कि इनका जैविक और पर्यावरण आधार भी होता है |

मानसिक बीमारी मूर्खता दो प्रकार के होते हैं –
Psychosis
Neurosis

Neurosis हल्का मानसिक बिमारी है इसमें व्यक्ति आम तौर पर वास्तविकता से दूर होता है | मानसिक और भावनात्मक प्रक्रिया धीमी या अति हो जाती  है |

Psychosis एक गंभीर मानसिक बेकार है जिससे एक लक्षण भी माना जाता है मनोविकृति वाला व्यक्ति आमतौर पर वास्तविकता से ध्यान खो देता है ऐसा लगता है कि वह एक सपनों की दुनिया में जी रहा है |

Neurosis कई प्रकार के होते हैं –
  • चिंता न्यूरोसिस
  • अवसादग्रस्त न्यूरोसिस
  • जुनूनी बाध्यकारी न्यूरोसिस
  • सोमा टाइप टेंशन (जिसे पहले हिस्टोरिकल न्यूरोसिस के नाम से जाना जाता था )
  • अति घातक जन  तनाव विकार( जिसे युद्ध या युद्ध न्यूरोसिस के रूप में जाना जाता है )

दमा, खुजली, संवेदनशीलता, आंत की बिमारी इसी प्रकार neurosis में मानसिक जटिलता इस प्रकार की होती है जैसे चिंता डिप्रेशन भय अति सवस्थ चिंता किसी कार्य को बार बार करने के लिए बाध्य होना ये सभी मानसिक बिमारी के लक्षण हैं |

 Psychosis -मन की एक असामान्य दशा है जिसमें मन यह तय नहीं कर पाता है कि क्या वास्तविक है और क्या अवास्तविक| इसके लक्षणों मैं भ्रांति, काल्पनिक चीजें देखना, असंगत बाते करना और उग्र हो जाना शामिल है इस स्थिति स्थिति वाला व्यक्ति आमतौर पर अपने व्यवहार के बारे में नहीं जानता | इससे पीड़ित रोगी में व्यवहार बुद्धि संबंधी विकृति पाई जाती है |

व्यवहार संबंधी बिकृति में- अतिसक्रियता ,आक्रामकता, खुद को नुकसान पहुंचाना, खुद पर नियंत्रण की कमी, निरर्थक शब्द दोहराना, बेचैनी व्याकुलता शब्दों या क्रियाओं को लगातार दोहराना, सामाजिक अलगाव जरूरत से ज्यादा सतर्कता बरतना |

बुद्धि संबंधी विकृति -विचार बिकार भ्रम की स्थिति अनचाहे ख्याल, गतिविधि में धीमापन, सबसे बेहतर होने की गलत धारणा या सोचने समझने में कठिनाई का होना  |

मनोवैज्ञानिक संबंधी विकृति -आवाजें सुनाई देना, डर अपनी योग्यता का महत्त्व , लगातार यातना साजिश का भ्रम अवसाद, उन्माद का दौरा, दृश्य मतिभ्रम, धार्मिक भ्रम या पीछा किए जाने का भ्रम |

आवाज संबंधी विकृति ,  जल्दी और उन्माद में बोलना, बेमेल आवाज या शब्दों का अत्यधिक उपयोग करना, सपने, स्पर्श , भ्रम इत्यादि |

सन् 1948 में डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि  की संपूर्ण शारीरिक मानसिक और सामाजिक स्थिति को स्वास्थ्य में शामिल किया है  |प्रत्येक व्यक्ति को अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को उतना ही महत्त्व देना चाहिए जितना हुआ अपने शारीरिक स्वास्थ्य को देता है |

सवस्थ ही धन है यह कहावत नितांत सत्य है सवस्थ व्यक्ति वही है जो मानसिक औ

Dr Ragini Singh

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