RBI Retail Direct Bond सुरक्षित पैसे के साथ मिल रहा है शानदार रिटर्न
RBI Retail Direct Bond या खुदरा प्रत्यक्ष योजना क्या है
अमेरिका जैसे विकसित बाजारों के तर्ज पर अब आम भारतीय को सरकारी बॉन्ड में पैसा लगाने का मौका मिल रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 नवंबर को आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम की शुरुआत की अब शेयर बाजार की तरह आम निवेशक भी सरकारी प्रतिभूतियों (government securities).
में खुदरा निवेशकों को भी पैसा लगाने का रास्ता खुल गया है खुदरा प्रत्यक्ष योजना (Retail Direct scheme) से छोटे निवेशकों की पहुँच बढ़ेगी और वह सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकेंगे इससे निवेशकों का फायदा होगा वहीं दूसरी ओर इससे सरकार को भी विकास के लिए पैसे जुटाने में मदद मिलेगी
इससे मध्यम वर्ग कर्मचारी छोटे व्यापारी और वरीष्ठ नागरिक अपनी छोटी बचत योजना को सीधे सुरक्षित तरीके से सरकारी प्रतिभूति में लगा सकेंगे सरकार बॉन्ड जारी करती है वह आरबीआई के माध्यम से करती है पहले रिटेलर डायरेक्ट इसमें निवेश नहीं कर सकती थी पहले संस्थागत निवेशक ही बॉन्ड में खरीद बिक्री कर सकते थे लेकिन अब अब आर बी आई के तहत कोई भी देश का नागरिक है वे सीधे तौर पर इन बॉन्ड ( RBI Retail Direct Bond ) को खरीद सकता है
खुदरा प्रत्यक्ष योजना के तहत आप ना सिर्फ केंद्र बल्कि राज्य सरकार के ट्रेजरी बिल और डेट सिक्योरिटी में निवेश कर सकते हैं सरकारी बॉन्ड में पैसा लगाना लॉन्ग टर्म इन्वेस्ट की तरह देखा जाता है बॉन्ड की अवधि एक वर्ष से 40 वर्ष तक हो सकती है बॉन्ड से मिलने वाला रिटर्न को यील्ड कहा जाता है
शॉर्ट टर्म में 30 दिन से लेकर 364 दिनों तक के लिए हो सकता है वही लॉन्ग टर्म सिक्योरिटी बॉण्ड का समय तीन सालों से लेकर 40 सालों तक के लिए हो सकता है
गवर्नमेंट सिक्योरिटी बॉण्ड में निवेश करने के लिए आरबीआई ने चार प्रकार के बॉन्ड की कैटेगरी निर्धारित की है
पहला– सेंट्रल गवर्नमेंट बॉन्ड
दूसरा– स्टेट गवर्नमेंट बॉन्ड
तीसरा– सावरे गोल्ड बॉन्ड इन(sovereign bond)
चौथा– ट्रेजरार बिल या T Bill
गवर्नमेंट बॉन्ड्स को RBI के द्वारा कैसे खरीद सकते हैं?
पहला प्राइमरी मार्केट के द्वारा जिसमें निवेशक डायरेक्ट बॉन्ड को खरीद सकता है जिस दिन सरकार उसको इश्यू करती है और उसके इंटरेस्ट भी निर्धारित कर देती है प्रत्येक सिक्योरिटी बॉन्ड के इंटरेस्ट अलग अलग हो सकते हैं किसी का 10% हो सकता है तो किसी बॉन्ड का 7% या 8% हो सकता है यह बॉन्ड केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार किसी के द्वारा जारी किया जा सकता है और इसकी मैच्योरिटी डेट भी इसमें निर्धारित कर दी जाती है ये बॉन्ड उसी प्रकार प्राइमरी मार्केट में आता है जिस तरह इक्विटी शेयर मार्केट में आईपीओ लाया जाता
दूसरा सेकेंडरी मार्केट के द्वारा कोई भी निवेशक इस बॉन्ड को खरीद सकता है यहाँ पर बेचनेवाला और खरीदने वालों के बीच सौदा तय होता है और इसके दाम ऊपर नीचे भी हो सकते हैं क्योंकि सरकार जब बॉन्ड जारी कर देती है और निवेशक उसको ले लेता है तो सरकार डायरेक्ट उससे फिर वापस नहीं लेते बॉन्ड की अवधि पूरी होने के बाद ही सरकार निवेशक से वापस लेती है और निवेशक के अकाउंट में पैसे आ जाते लेकिन बीच में अगर कोई निवेशक सरकार को वापस करना चाहता है |
फिक्स डिपॉजिट की तरह इस सिक्योरिटी को तोड़ना चाहता है तो वह ऐसा नहीं कर सकता उसको बॉन्ड की पूरी अवधि खत्म होने तक इंतजार करना होगा या उसे सेकेंडरी मार्केट में बेचना होगा प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट दोनों ही आर बी आई के द्वारा उपलब्ध कराए गए है R.B.I ने सामान्य जनता के लिए डायरेक्ट बॉन्ड खरीदने के लिए पोर्टल जारी किया है
रिज़र्व बैंक के अनुसार वही निवेशक अकाउंट खोल सकते हैं जो इन शर्तों को पूरा करें –
पहला उनके पास किसी बैंक का saving account होना चाहिए
दूसरा इनकम टैक्स के द्वारा जारी पैन कार्ड
KYC के लिए आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड हूँ
वैलिड ईमेल आई डी और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर हो
पहला इसमें निवेशक डायरेक्ट निवेश कर सकता है उसको कोई कमिशन चार्ज नहीं देने पड़ते पहले बॉन्ड में निवेश करते समय ब्लॉक्ड या म्यूचुअल फंड को फीस देनी पड़ती थी
दूसरा 100% सुरक्षित है गारंटेड सेट्लमेंट है निवेशक द्वारा लगाया गया पैसा कभी भी डिफ़ाल्ट नहीं कर सकता यहाँ तक कि सरकारी बैंक में फिक्स डिपोजिट करने से भी ज्यादा सुरक्षित है
तीसरा बॉन्ड मार्केट भी इक्विटी मार्केट की तरह ज्यादा से ज्यादा लिक्विडिटी की उपलब्धिता हो जाएगी हो
चौथा फिक्स डिपॉजिट और पीपीएफ की तरह बॉन्ड के मैच्योरिटी पीरियड तक इंटरेस्ट रेट ऊपर नीचे नहीं होते बल्कि जिस दिन इंटरेस्ट रेट जारी कर दिए जाते हैं मेचुरिटी तक उसी तरह बने रहते हैं
100% सुरक्षित है लेकिन अगर कोई निवेशक इसमें निवेश करता है और बीच में की जरूरत पड़ जाती है तो सरकार इसको वापस नहीं लेता बल्कि उसको सेकेंडरी मार्केट में ही बेचने होते ऐसी स्थिती में अगर मार्केट में कोई खरीदार ना हो तो तो उसके लिए बेचना मुश्किल हो सकता है
इन सबके बावजूद हम यह कह सकते हैं कि इसमें निवेश का सबसे बड़ा बेनिफिट यह है कि जीस समय बॉण्ड जारी किया गया था और सरकार उसी समय जो इंटरेस्ट रेट निर्धारित कर देती है बॉन्ड की मैच्योरिटी तक एक सामान इंटरेस्ट चलता रहता है फिक्स डिपॉजिट और अन्य सरकारी योजनाओं की तरह इसके इंटरेस्ट रेट बदलते नहीं हैं जिसके कारण अगर कभी सरकार द्वारा इंटरेस्ट रेट कम कर भी दिया जाता है तो बॉन्ड पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता और इसको सेकेंडरी मार्केट में बेचना ज्यादा आकर्षक हो जाता है
https://www.rbiretaildirect.org.in/
प्रत्येक मनुष्य के अंदर एक शक्तिशाली प्रेरक शक्ति होती है, जो एक बार प्रकट हो…
The existence of God is not subjective. He either exists or he doesn’t. It’s not…
Gray Divorce, the increasing trend of older couples parting ways after decades of marriage, reflects…
"आध्यात्मिक यात्रा में आशा और भय से परे जाना, अज्ञात क्षेत्र में कदम रखना, लगातार…
Spirituality has nothing to do with the atmosphere you live in. It’s about the atmosphere…
Manpower without unity is not a strength unless it is harmonized and united properly, then…